हिन्दुओं की पूजा में मंत्रो का विशेष महत्व होता है। जितने महत्वपूर्ण मंत्र होते है उतना ही महत्वपूर्ण उसका उच्चारण होता है। शास्त्रों के अनुसार गलत मंत्रोचारण अनिष्टकारी सिद्ध होता है। मंत्रो में अद्भुत शक्ति होती है। मंत्रों के द्वारा कोई भी व्यक्ति बड़ी से बड़ी मुसीबतों से भी पार पा सकता है।
अगर कोई व्यक्ति सही मंत्रोचारण कर के अपने इष्ट देवी देवता का स्मरण और पूजा करता है तो भगवान् भी उसकी सारी विपदाएं और विपत्तियां हर लेते हैं। इससे व्यक्ति आध्यात्मिक तौर पर भी सशक्त होता है। तथा उसके शत्रुओं का नाश होता है।
मंत्रो का प्रयोग अपने लिए रक्षा कवच बनाने के लिए भी किया जाता है। जब कोई प्रतिदिन इस तरह से अपनी पूजा में मंत्रो का प्रयोग करता है तो उसके इर्दगिर्द एक तरह का रक्षा कवच स्थापित हो जाता है। पुराणों में भी पत्ते, ताम्रपत्र या कागज़ पर मंत्रो का लिख कर अपने पास रख कर कवच धारण करने के प्रावधान हिन्दू धर्म में मौजूद है।
ध्यान देने वाली बात ये है की कभी भी व्यक्ति को मंत्रो का गलत उच्चारण नहीं करना चाहिए। मंत्रो उच्चारण के दौरान स्वर और व्यंजनों पर खास ध्यान देना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति गलत मंत्रो का उच्चारण करता है तो वो उसके लिए एक श्राप की भांति हो जाता है।
संस्कृत और हिंदी भाषा में एक मात्रा के बदलने मात्र से किसी भी शब्द का अर्थ से अनर्थ हो जाता है। जैसे की अगर चिंता में से मात्रा हटा दी जाये तो वो चिता बन जाता है। इसी प्रकार संस्कृत में लिखे मंत्रो का सही उच्चारण करना अति महत्वपूर्ण होता है।
अगर व्यक्ति मंत्रो में गलत स्वर का उच्चारण करता है तो ये उसके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है। ऐसे व्यक्तियों को बीमारियां घेर लेती है। जबकि व्यंजनों का गलत उच्चारण व्यक्ति के समस्त जीवन का सर्वनाश कर सकता है।
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नोट: उपरोक्त सिफारिशों और सुझाव प्रकृति में सामान्य हैं। अपने आप पर प्रयोग करने से पहले एक पंजीकृत प्रमाणित ट्रेनर या अन्य पेशेवर से परामर्श कर सलाह लीजिये।
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