Wednesday, 24 January 2018

गणतंत्र दिवस पर देश के नाम संदेश

हमारे प्यारे देशवासियों!
सबसे पहले तो भारत के सभी नागरिकों को हमारे ब्लॉग की तरफ से इस 69 गणतंत्र दिवस की ढेरों शुभकामनायें और बधाइयाँ। कुछ लोग पूछते हैं कि जब स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है तो फिर गणतंत्र दिवस को अलग से मनाने की क्या जरूरत है? दरअसल जिस तरह से एक मनुष्य या प्राणी के शरीर में आत्मा की जरूरत होती है उसी तरह एक देश के लिए संविधान की जरूरत होती है। ये बात सही है कि भारत को 15 अगस्त 1947 को आज़ादी के साथ एक शरीर तो प्राप्त हो गया। परन्तु उस शरीर में प्राण प्रतिष्ठा या यूँ कहें की उस शरीर में आत्मा का प्रवेश 26 जनवरी 1950 को हुआ।
भारत के नागरिक होने पर हमें गर्व है और इसकी अखण्डता और सम्प्रभुता को बनाये रखने के लिए वचनबद्ध होना चाहिए तथा इसकी एकता को बनाये रखने की शपथ लेनी चाहिए। हम उस परम पिता परमेश्वर का सादर आभार व्यक्त करते हैं की हमारा जन्म इस भारत भूमि पर हुआ है। ये वो भूमि है जिसे लोगों ने अपने खून से सींचा है। हम कभी नहीं भूल सकते भारत के योद्धा और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को। फिर चाहे वो मुगलों से लोहा लेने वाले पृथ्वी राज चौहान हों, या अंग्रेज़ो को नाको चने चबवाने वाली झांसी की रानी या मंगल पांडेय हों, या क्रांतिकारी भगतसिंह, राजगुरु, चंद्रशेखर आज़ाद, खुदीराम बॉस हों या फिर स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने वाले महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, लाला लाजपत राय, सरदार पटेल जैसे अनगिनत वीर सेनानी हों। गणतंत्र दिवस हमें एक मौका देता है कि हम उन वीर शहीदों की शहादतों को याद कर सकें। उन्हें सम्मान में श्रद्धा रुपी सुमन अर्पित कर सकें।
“ मुझे ना तन चाहिए, ना धन चाहिए
बस अमन से भरा यह वतन चाहिए
जब तक जिन्दा रहूं, इस मातृ-भूमि के लिए
और जब मरुँ तो तिरंगा कफ़न चाहिये ”
26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया और इसके साथ ही भारत एक स्वशासित देश बन गया। भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है और साथ ही विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र भी है। इस संविधान को बनाया था बाबा साहब आंबेडकर की अध्यक्षता वाली संविधान समिति ने। जिसमे भारत के समस्त नागरिकों को समान अधिकार दिए गए। हर एक भारतवासी फिर चाहे वो किसी भी धर्म, जाति अथवा लिंग का हो संविधान की दृष्टि में सभी एक समान है। भारत का संविधान समस्त नागरिकों को समानता के साथ साथ शक्ति और स्वतंत्रता का अधिकार देता है। भारत का संविधान वो सपना था जिसे हमारे स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले वीर सपूतों ने देखा था। “भारत एक गणराज्य” सिर्फ एक वाक्य ही नहीं है अपितु इसका अर्थ है जनता के द्वारा शासन, जनता के लिए शासन, जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा शासन।  
“ कुछ नशा तिरंगे की आन का है,
कुछ नशा मातृभूमि की मान का है,
हम लहरायेंगे हर जगह ये तिरंगा,
नशा ये हिन्दुस्तान की शान का है….”
हम जब भी भारत के तिरंगे को लहराते हुए देखते हैं तो हमारा सिर फक्र से ऊंचा हो जाता है। ये लहराता हुआ तिरंगा हमारे शरीर में नई ऊर्जा और स्फूर्ति भर देता है। भारत शुरू से आध्यात्मिक गुरु की छवि में रहा है। तथा दुनिया ने भारत के द्वारा दिखाए मार्ग का अनुसरण किया है। हम धनी हैं क्यूंकि इसी भूमि पर जन्म हुआ था एक ऐसे ही विचारक और युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद जी का जिन्होंने विश्व को भारत की आध्यात्मिक विरासत से अवगत कराया।


आज वर्तमान समय की बात करें तो आज हमारा युवा वर्ग पाश्चात्य संस्कृति के पीछे भाग रहा है। जबकि सम्पूर्ण विश्व भारत की संस्कृति को अपनाने में लगा है। इसका सबसे अच्छा उद्धाहरण है योग। दुनिया के लगभग सभी देशों ने भारत की योग शिक्षा को अद्भुत पाया और अब पूरी दुनिया उसका अनुसरण कर रही है। न जाने कितने ही विश्वविद्यालयों में योग के ऊपर शोध किये जा रहें है। आज मनुष्यों को मनुष्यों से, मनुष्यों को अपने समाज से और मनुष्यों को अपने आप से सम्बन्ध स्थापित करने की आवश्यकता है।
हमे भारत की सेवा करनी है। सेवा करने से तात्पर्य सिर्फ बॉर्डर पर जाकर बन्दूक लेकर अपने देश के लिए दुश्मनो से लड़ना ही नहीं होता। सेवा करने के अनगिनत माध्यम हो सकते है। हमे लड़ना है अपने देश की भूख और गरीबी से, हमे लड़ना है अपने देश में महिलाओं पर हो रहें अत्याचारों से, हमे लड़ना है अपने देश की बेरोजगारी से। हमे लड़ना है हर उस व्यक्ति से जो हमारे समाज में नफरत के बीज बो रहें है और हमारे देश की नीव को खोखला कर रहे है। भारत को आज जितना खतरा देश के बाहर के दुश्मनों से हैं उससे कहीं ज्यादा खतरा अंदरूनी गद्दारों और मीर जाफ़रों से है। हमें हर उस इंसान के प्रति एकजुट होना है जो की हमारे देश के सर्व धर्म सम्भाव को हानि पहुंचा रहें है। जिससे देश की एकता और अखंडता बरकरार रहे।
आज हमे जरूरत है लाल बहादुर शास्त्री जैसे नेता की जिन्होंने जय जवान जय किसान का नारा देकर समस्त भारतियों को एक सूत्र में बाँध दिया। जब एक गरीब परिवार में पैदा हुआ व्यक्ति अपने जीवन में देश के उच्चतम पदों को प्राप्त कर सकता है, तो क्या हम सुविधा संपन्न करोड़ो लोग अपने द्वारा देश को आगे नहीं बढ़ा सकते? अगर हम अपने देश को आगे बढ़ाने की ठान लें तो कोई भी मुश्किल हमारा रास्ता नहीं रोक सकती है। इसका सबसे अच्छा उधारण है हमारे देश का मंगलयान मिशन जिसने सम्पूर्ण विश्व में न सिर्फ भारत का मान बढ़ाया बल्कि भविष्य के लिए आपार संभावनाओं के द्वार भी खोल दिए। एक सच्चा भारतीय होने के नाते हमारा ये कर्त्तव्य बनता है की हम 21 वी सदी को भारत की सदी बनाए। हमें लगातार भारत की प्रगति के लिए प्रयास करना है। भारत को विश्व पटल पर सबसे ऊपर लाना है। ईश्वर से प्रार्थना है की हमारा देश इस विश्व में महाशक्ति बनकर उभरे और प्रगति के पथ पर निरंतर आगे बढ़ता रहे।
“ अनेकता में एकता ही इस देश की शान है,
इसीलिए मेरा भारत महान है…. “
जय हिन्द! जय भारत!

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