एक नारी को सम्पूर्णता का एहसास माँ बनकर ही मिलता है। यूँ तो नारी अपने अनेक रूपों में जानी जाती है फिर चाहे वो बेटी, बहन या संगिनी हो परन्तु माँ बनना एक अलग ही अनुभव होता है। गर्भावस्था के नौ महीने दोनों (पति और पत्नी) के लिए खास होते हैं। पर क्या आप जानते हैं की शिशु भी इस दौरान बहुत कुछ सीख लेता है। तथा अपनी हरकतों से अवगत भी कराता है। तो चलिए जानते हैं गर्भ के दौरान शिशु और उसकी हरकते।
गर्भ के कुछ महीनों के उपरांत शिशु चीजों को याद रखना शुरू कर देता है। फिर चाहे वो कोई संगीत या कोई आवाज़ हो। साथ ही जब होने वाली माता कोई चीज बड़े चाव से खाती है तो शिशु भी उसे पसंद करने लगता है। उसका स्वाद भी गर्भ से ही विकसित होने लगता है।
शिशु अपनी माँ की आवाज़ को सबसे ज्यादा पहचानता है। किसी और व्यक्ति की आवाज़ पर वो प्रतिक्रिया नहीं देता परन्तु जब उसकी मां कोई मंत्र या गाना गुनगुनाती है तो वो अपनी प्रतिक्रिया तुरंत देता है। गर्भ के दौरान ही शिशु मुस्कुराना और भौहें चढ़ाना सीख लेता है।
सच तो ये है की गर्भावस्था के दौरान एक माँ ही अपने शिशु को सबसे अच्छे महसूस कर सकती है। इसीलिए इस रिश्ते को ये दोनों ही समझ सकते हैं।
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नोट: उपरोक्त सिफारिशों और सुझाव प्रकृति में सामान्य हैं। अपने आप पर प्रयोग करने से पहले एक पंजीकृत प्रमाणित ट्रेनर या अन्य पेशेवर से परामर्श कर सलाह लीजिये।
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