हिन्दू धर्म में लोग शिवरात्रि का त्यौहार मनाते हैं। पर क्या आप जानते हैं की हम लोग आखिर क्यों मनाते हैं शिवरात्रि का त्यौहार? आइये जानते हैं इसका पौराणिक महत्त्व। कहा जाता हैं की जब समुन्द्र मंथन हुआ था तब अमृत से पहले उसमे से हलाहल विष निकला था। वो विष इतना विषैला था की उसके कारण सम्पूर्ण विश्व को क्षण भर में समाप्त होने का खतरा होने लगा था।
कोई भी न तो सुर और न असुर, न गन्धर्व और न ही पशु इस विष को पीने को तैयार था। तब सभी सुर और असुरों ने मिलकर भगवान् शंकर की आराधना की। जिसके बाद भगवान् शिव ने इस संसार को बचने के लिए उस विषैले हलाहल विष का पान किया। परन्तु भगवान् शिव ने उसे अपने कंठ में ही रोक लिया जिसके कारण उनका कंठ नीला पड़ गया।
इसी कारण भगवान् शंकर को नीलकंठ भी कहा जाता है और उसी पौराणिक मान्यता के अंतर्गत भगवान् शिव को प्रसन्न करने और उनका आभार व्यक्त करने के लिए व्रत रखा जाता है और उनकी की स्तुति की जाती है।
यदि आपको ये लेख अच्छा लगा हो तो कृपया मुझे फॉलो करें ताकि आपको इसी प्रकार के लेख और खबरें तथा जानकारी मिलती रहे।
नोट: उपरोक्त सिफारिशों और सुझाव प्रकृति में सामान्य हैं। अपने आप पर प्रयोग करने से पहले एक पंजीकृत प्रमाणित ट्रेनर या अन्य पेशेवर से परामर्श कर सलाह लीजिये।
No comments:
Post a Comment